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_बेखबर
इतना हंस-हंस कर मिलते हैं सबसे कौन मानेगा कि हम टूटे हैं अंदर से ©_बेखबर #sad #Poetry
SUBHOTHEPOET
White একলা ঝড়ের রাতে কেউ নেই মোর সাথে ঘাসের মধ্যে শুয়ে হাজার কষ্ট হাজার আশা ভুলে যাওয়া স্মৃতি খুন করে বসা যাচ্ছে না কেন ধুয়ে ফালতু কথার নোংরা ছুড়িতে কাটছে তোমার মনটাকে সে জানোয়ার টাকা পেলে আজ বেচে ফেলে তার বোন টাকে টাকা আমাদের কিনতে যে চায় টাকায় মানুষ গাঁথা টাকায় ভোলায় যৌন জ্বালা টাকাই নিভায় ব্যথা।। তোমার ঘরের লক্ষী সে যে অন্য ঘরের জ্বালা টাকাই লোক কে ক্ষমতায় এনে পড়াই জুতোর মালা। পাতলা কাগজ মূল্য অনেক ঝুকায় সবার মাথা বেসরকারি হোক বা রেন্ডি সবার মুখেই ঠাসা। ©SUBHOTHEPOET #টাকা sad poetry
#টাকা sad poetry
read moreअक़श
White 🌹🎉जिन्दा पर भूखे रखें अब पितृन को दान कैसी है यह विडंबना अपना देश महान दरबाजे खटिया पड़ी कोई न देखन जाय बुड्ढा बुढ़िया ताक ताक भूखे ही सो जाये माई बाउ सपने मे कहीं शाप न दें जाये पित्र पक्ष मैं चुनचुन के छप्पन भोग लगाय जीते जी सेवा नहीं मरते ही डर जाय वाह रें तेरे ढोंग की महिमा कहीं न जाय अश्कों से पितरो को है अक़श नमन अब पित्र तृप्त हो जाये 🎉🌹 ©अक़श #sad_shayari sad poetry
#sad_shayari sad poetry
read moreअक़श
White 🎉मैं दिहाड़ी मजदूर हूँ हाँ साहब मैं मजबूर हूँ सुबह घर से निकलता हूँ काम की तलाश मे मिल गया तो ठीक नहीं तो खाली हाथ घर लौट आता हूँ जब घर आता हूँ देहरी पर बैठ जाता हूँ घरवाली समझ जाती है शायद काम नहीं मिला वह भी बच्चों के साथ उदास बैठ जाती है ऐसा नहीं है की रोज काम नहीं मिलता कभी कभी मिल भी जाता है उस दिन जब मैं दिहाड़ी लेकर शाम को घर आता हूँ घर मे त्यौहार जैसा माहौल स्वता ही बन जाता है पत्नी ओर बच्चे सभी जेबे टटोलते है उनकी ख़ुशी देखकर मे फूला नहीं समाता हूँ मै जितना कमाता हूँ शाम को ख़तम हो जाता है कभी कभी बेबसी पर बहुत रोना आता है बच्चे पूछते है पापा हम स्कूल कब जायेंगे साहब आप ही बताना मजदूर क्या नहाये ओर क्या निचोड़े वह ऐसे ही मुफलिसी मैं अपने दिन गुजारता है लेकिन किसी के आगे हाथ नहीं पसारता है खुद्दारी मै ही अपने बचे कुचे दिन गुजारता है 🎉 ©अक़श #GoodMorning sad poetry
#GoodMorning sad poetry
read moreJyotilata Parida
White जाने वो कैसे लोग थे जिनके प्यार को प्यार मिला हमने तो जब कलियाँ माँगी काँटों का हार मिला इसको ही जीना कहते हैं तो यूँही जी लेंगे उफ़ न करेंगे लब सी लेंगे आँसू पी लेंगे ग़म से अब घबराना कैसा, ग़म सौ बार मिला हमने तो जब कलियाँ माँगी काँटों का हार मिला ©Jyotilata Parida #sad poetry
#SAD poetry
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